Hello दोस्तों आज एक पति पत्नी की दर्दनाक दास्ताँ बयान करने जा रहा हु | आशा करता हु के आप ये दास्ताँ अंत तक जरुर पढेंगे |
थोड़ी देर पहले मेने अपनी पत्नी तुलसी को मार डाला | मेने अपने हाथो से ज़हर वाला दूध पिलाया उसे | सोचने वाली बात क्या है पता है आप को ? तुलसी जानती थी के में उसे मार डालने वाला हु | वो ये भी जानती थी के दूध वाले गिलास में ज़हर मिला हुआ है | फिर भी उसने मेरे हाथो से वो गिलास ले कर ज़हर वाला दूध पी गयी | दूध पीने के बाद उसने कहा स्माइल करते हुए मुझे कहा मुझे तुम्हे आखरी बार अपनी बाहों में जकड के गले लगाना है , और तुम्हारे आँखों को चूमना है | मैं कुछ कह न सका | क्या कहता ? बस उसे अपनी बाहों में जकड के पकडे रखा था | उसने मेरे दोनों आँखों को चूमा , और वो मेरी बाहों में सो गयी | मैंने उसे बिस्तर पे अच्छी तरह से सुला दिया |
तुलसी जैसी पत्नी का मिलना भाग्य की बात है | ये एसी लड़की थी जो अपनी पति को दिलो जान से चाहती थी , अपनी सास सासुर का सम्मान करती थी और उसके लिए अपना घर संसार ही सब कुछ था | उसके लिए उसका पति ही उसकी दुनिया थी | तो मैंने अपनी पत्नी को क्यों मारा ? उसकी जान क्यों ली ?Hmmm…. सुन कर आप लोगो का दिल तड़प उठेगा | तुलसी को मारा क्योकि माँ ने कहा था | अब आप लोग कहेंगे के माँ ने कहा और आपने अपनी पत्नी को मार डाला ? कारण ये है के माँ तुलसी को घृणा करती थी और में अपनी माँ को खूब मानता था उनका हुक्म हमेशा मेरे सर आँखों पर होता था | माँ को कभी तुलसी पसंद नहीं थी , क्योकि वो अनाथ थी | उसके माँ बाप का कोई ठिकाना न था | वो बचपन से अनाथ आश्रम में पली बढ़ी | उसकी कड़ी मेहनत और परिश्रम से उसने Graduation किया था | हम ने Love Marriage किया था , और हमारे प्रेम विवाह को माँ बाबुजी ने कभी नहीं अपनाया | उनके लाख मन करने के बावजूद मैंने तुलसी से विवाह किया |
तुलसी भी बोल रही थी के माँ बाबा को मै पसंद नहीं हु तो विवाह करना उचित नहीं होगा पर वो मेरे जिद के आगे हार गयी ,और क्यों न हारती वो मुझे बोहोत चाहती थी | हमारे विवाह के बाद वो घर में सब का ख्याल रखने लगी Specially माँ बाबूजी का | फिर भी तुलसी के थोड़ी सी गलती से माँ उसे बोहोत डाट देती | पर तुलसी कभी कुछ भी नहीं बोलती | बस चुपचाप सुन लेती | उसकी तकलीफ को मै अपने प्यार से Replace करने की कोशिश करता | मैंने तुलसी को बोहोत बार कहा के हम दोनों अलग हो जाते है और कही किराये पे घर खरीद लेते है | वो मुझे बोलती माँ बाबा अगर कुछ बोले तो वो हमारे भले के लिए ही होता है इसमें अलग होने वाली कौन सी बात है | उसके जन्म से ही उसे कभी माँ बाबा का प्यार नहीं मिला था | उसने सोचा था के शादी के बाद सास ससुर में माँ बाबुजी का प्यार तलाश करेगी | पर वो कहावत बोलते है न के “प्यासा अगर कुए के पास पहोंच भी जाये तो कुआ खली ही मिलता है |”
तब अगर तुलसी मेरी बात मन लेती और अलग हो जाते तो आज मेरी तुलसी मेरे साथ होती | कुछ दिनों से माँ की तबियत ख़राब थी | मेरी तुलसी माँ की खुब सेवा चाकरी करती थी | उस दिन माँ ने मुझे कमरे में अकेले बुलाया | माँ ने कहा तेरे पास से कुछ मांगूंगी तू दे सकेगा ? ये मेरी आखरी इच्छा होगी | माँ की बाते मुझे दिल में काटे की तरह चुभ ने वाली थी | मैंने कहा हा माँ बोलो ? माँ ने बोला के मेरे सर पे हाथ रख के कसम खा जो में बोलूंगी वो करेगा तू ? मैंने बोला ठीक है माँ में कसम खता हु अब बोलो ? माँ ने बोला उस तुलसी को छोड़ दे या तो फिर मार दाल जब तक वो यहाँ रहेगी मुझे मर के भी सुकून नहीं मिलेगा ? मैं कुछ कहना चाहता था पर माँ ने मेरी बात बीच में काट ते हुए मुझे बोली देख तूने मेरी कसम खायी है अब मुह मत बना ? अब बोल तुझे अपनी माँ ज्यादा प्यारी है या अपनी तुलसी ? मैं कुछ कहे बगैर वह से चला जा रहा था | सामने मेरी तुलसी थी उसके हाथ में पानी का गिलास और आँखों में आंसू थे | मुझे लगा था के उसने सब सुन लिया है | मै कुछ कहे बिना वह से निकल लिया | उस दिन रात तो तुलसी मुझे बोहोत प्यार करने लगी | मेरे मन में बोहोत सारा प्यार भर दिया | उसके प्यार के रंग में मैं पूरी तरह दूब गया | मेरी तुलसी ने मुझे कहा के अगर मैं तुम्हारी जगह पे होती तो मैं अपनी माँ की बात मान लेती | मैं आश्चर्य चकित होक अपनी तुलसी के आँखों में देख रहा था | मेरे आँखों मे से अश्रुधाराए बहने लगी थी | तुलसी ने मेरे आँखों को चूमा और आंसुओ को पोछ दिया | दो दिन तक मेरी तुलसी ने मुझे जो प्यार दिया था वो कल्पनाओ के परे था |
क्या वही उसका आखरी प्यार था जो मुझे मिला था ? और आज मैंने अपनी तुलसी को मार डाला | मेरी तुलसी को पता था के मैं उसे मार डालूँगा पर उसे क्या पता था के मैं भी उसके बिना जी नहीं सकूँगा | उसको क्या लगा के मैं अपनी माँ की ही बाते मानुगा और अपने प्यार की कोई कदर नहीं करूँगा ? Hmmmmm… तो क्या हुआ मैंने अपनी माँ की बाते मान कर अपनी तुलसी को मार डाला, पर अपने प्यार के खातिर जो अपनी तुलसी के खातिर मैं भी नहीं जीऊंगा | मुझे पता है उपरवाला मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा जो ज़हर वाला दूध मैंने अपनी तुलसी को दिया था वो आधा था | और बाकी आधा ज़हर वाला दूध मैंने अपने लिए रखा था जो मैंने पी लिया |
माँ को कुछ बोलना था …… माँ तुम्हे पता है के माँ के सर की कसम किसीको नहीं देना चाहिए | माँ जैसे किसी भी बच्चे का दिल होता है तो पत्नी उस दिल की धड़कन होती है | अगर धड़कने ही रुक जाये तो दिल भी धड़कना बंद कर देता है | जीने के लिए दोनों का ही होना ज़रूरी है | माँ मैंने तुम्हारी बातें मानी पर साथ साथ अपनी तुलसी के प्यार की भी कदर कर ली | अब तुम मेरी आखरी इच्छा पूरी कर देना माँ ? माँ तुम मुझे और मेरी तुलसी को एक ही चिता में जलना , और हां माँ श्राद्ध तिन लोगो का करना | ये तीसरा कौन है आप सोच रहे होंगे ? मैं, मेरी तुलसी और हमारा संतान तो मेरी तुलसी के गर्भ में था | माँ मुझे पता है के तुम कल खूब रोने वाली हो | तुम्हारे रोने की आहाट पुरे घर में गूँज उठेगी | तुम्हारी संतान मर गयी तो तुम को बोहोत कष्ट होगा ? और आप ही बताओ के मेरी संतान के लिए मेरे मनमे कितना कष्ट हुआ होगा जब तुमने मेरी तुलसी को ………..|
माँ समज रही हो ? माँ क्या आप जानती हो के तुलसी को ज़हर वाला दूध पिलाने के बाद उसके हाथ मेसे एक चीठ मिली उसमे लिखा था मैं Daddy बन ने वाला था | वो जानती थी के अगर उसने मुझे पहले बता दिया होता तो मैं उसे वो ज़हर वाला दूध न पिलाता | माँ तुम्हे पता है तुलसी अपने आखरी वक्त में क्या बोल रही थी , के माँ का खयाल रखना | पगली ये भी नहीं जानती थी के माँ का खयाल रखने वाला मै भी नहीं रहूँगा | माँ तुम अपना ख्याल रखना | मेरा आखरी वक्त आ चूका है मै भी अपनी तुलसी के माथे पे आँखों को गालो को आखरी बार चूमना चाहूँगा और उसके पास ही अपना दम तोडना चाहूँगा |
हां माँ मेरी तुलसी और मेरी मौत का ज़िम्मेदार कोई नहीं है | हम अपनी मरजी से ये दुनिया छोड़ रहे है |
Dosto ये दर्द भरी दास्ताँ आप को कैसी लगी comment मै ज़रूर बताना |
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